Review- खून-खराबे, जोक्स और दमदार कैमियो से भरी है डेडपूल एंड वुल्वरीन, निकलेंगी चीखें

फिल्म:डेडपूल एंड वुल्वरीन
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फिल्म:डेडपूल एंड वुल्वरीन
4/5
  • कलाकार : रायन रेनोल्ड्स, ह्यू जैकमैन
  • निर्देशक :शॉन लेवी

दुनियाभर में पिछले कई महीनों से जिस फिल्म के चर्चे हो रहे थे वो आखिरकार रिलीज हो गई है. ये कोई और नहीं बल्कि मार्वल की नई फिल्म 'डेडपूल एंड वुल्वरीन' है. जब से इस फिल्म काऐलान हुआ था तभी से मार्वल और खासकर X-Men के फैंस को इसका इंतजार था. वजह थेवुल्वरीन. डेडपूल के डार्क और मजाकिया अंदाज को तो कई दर्शक पसंद करते हैं. लेकिन 90s के बच्चे जानते हैंकिवुल्वरीन कितना गजब का कैरेक्टर है. अपने फेवरेट X-Man को देखने के लिए फैंस बेताब थे. अब ये लंबा इंतजार खत्म हो गया है. अगर आप भी'डेडपूल एंड वुल्वरीन' देखने जा रहे हैं, तो पहले ये रिव्यू पढ़ लीजिए.

स्क्रीन पर कोई भी तस्वीर आने से पहले अलग आपको किसी की मजेदार आवाज में पंचलाइन सुनाई दे जाए, तो समझ जाइए कि डेडपूल आ गया है. अपने मजाकिया अंदाज, कभी न मरने वाले शरीर और बड़बोले मुंह के साथ डेडपूल सिनेमाघरों में वापस आ गया है और एक्टर रायन रेनोल्ड्स इसे हर बार इतने बढ़िया अंदाज में कैसे निभाते हैं, इसपर स्टडी होनी चाहिए. फिल्म की शुरुआत होती है डेडपूल केवुल्वरीन को ढूंढने से, या फिर बोलाजाए दुनिया को अलविदा कह चुकेवुल्वरीन की लाश को ढूंढने से. ऐसा वो क्यों कर रहा है इसका जवाब आपको वेड विल्सन उर्फ डेडपूल ही दे सकता है.

'डेडपूल 2' में अपनी गर्लफ्रेंड को लगभग खो देने के बाद वेड विल्सन की जिंदगी एकदम बदल गई है. वो लंबे वक्त से अपने सुपरहीरो अवतार में नहीं आया है. न ही अपनी जिंदगी और नौकरी से खास खुश है. लेकिन फिर उसकी जिंदगी में ऐसा मोड़ आता है, जिसके लिए उसेवुल्वरीन की जरूरत है. और फिर शुरू होता है वो खेल जिसकी उम्मीद न आपने, न मैंने, न किसी और ने की थी. डेडपूल औरवुल्वरीन मिलकर इस फिल्म में जो धमाल मचाने वाले हैं, वो हर किसी की सोच से एकदम बाहर है और इसी बात में फिल्म का सारा मजा है. इसके आगे कुछ भी बोलातो जबरदस्त स्पॉइलर की बारिश हो जाएगी.

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रायन रेनोल्ड्स का जवाब नहीं

मार्वल अपनी फिल्मों में फैंस को सरप्राइज देने के लिए जाना जाता है और 'डेडपूल एंड वुल्वरीन' में आपको इतने धमाकेदार सरप्राइज मिलने वाले हैं कि एक्साइटमेंट में आपकी चीखें ही निकल जाएंगी. पिक्चर की शुरुआत इतने मजेदार तरीके से होती है मजा ही आ जाता है. ओपनिंग क्रेडिट्स को रोल करने का अंदाज इस फिल्म में अभी तक का मार्वल बेस्ट रहा है. डेडपूल के एक्शन के अलावा उसके डांस मूव्स भी किलर हैं.

रायन रेनोल्ड्स की अपने वेड विल्सन और डेडपूल के किरदार पर इतनी बढ़िया पकड़ है कि उनके आगे किसी को भी देखना या किसी पर ध्यान देना मुश्किल हो जाता है. डेडपूल की मस्ती, उसकी उल्टी-सीधी बातें, उसका बड़बोलापन, उसकी अटपटी हरकतें और उसका खूब-खराबा और तबाही मचाना रेनोल्ड्स के अलावा कोई और नहीं कर सकता. इस फिल्म में आपको रायन रेनोल्ड्स खूब हंसाते हैं और इम्प्रेस भी करते हैं.

बीते दिनों की याद दिलाएगावुल्वरीन

अपने बचपन के दिनों को जीने के लिए भी तैयार हो जाइए क्योंकि माय बॉयवुल्वरीन इज इन इट टू. 24साल पहले फिल्मX-Men सिनेमाघरों मेंरिलीज हुई थी, जिसमें एक्टरह्यू जैकमैन कोवुल्वरीन के रोल में पहली बार देखा गया था. ह्यू ने अपने काम को इतनेजबरदस्त तरीके से कियाथा कि सालों तक हर फिल्म मेंवुल्वरीन के कैरेक्टर में उन्हें ही देखा गया और ऑडियंस को उनसे प्यार हो गया. वुल्वरीन कॉमिक्स के साथ-साथ फिल्मी फैंस का भी फेवरेट X-Man बन गया. उसी चार्म, उन्हीं इमोशन्स के साथ नई लेयर्स मिलाकर ह्यू जैकमैनवुल्वरीन के किरदार में वापस आए हैं. और ये बात तब भी सच थी और आज भी है कि उनके अलावावुल्वरीन कोई नहीं बन सकता. इस फिल्म में उन्होंने अपने रोल को परफेक्टली निभाया है. उन्हें देखकर आपकी सारी पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं.

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फिल्म में भरे हैं ढेरों सरप्राइज

डायरेक्टर शॉन लेवी ने इस फिल्म को अपना सबकुछ दे दिया है. कैमियो से लेकर मल्टीवर्स, खतरनाक और सनकी विलेन और क्यूट डॉगपूल तक कोई ऐसा कार्ड नहींहै, जिसे उन्होंने न खेला हो. डेडपूल का पुराना खून-खराबे वाला अंदाज इस फिल्म में अभी भी है, जिसेवुल्वरीन दो गुना कर रहा है. डेडपूल औरवुल्वरीन के बीच की लड़ाई देखना एक्साइमेंट से भरा होने के साथ-साथ दर्दनाक भी है. इसके अलावा दोनों की मिलकर दुश्मनों से लड़ाई और बाकी एक्शन सीक्वेन्स भी धुआंधार हैं. सीन्स की एक्शन कोरियोग्राफी सही में काबिल-ए-तारीफ है. कॉमिक बुक के बहुत से सीन्स का रेफरेंस भी दिया है. इसके साथ ही फिल्म का म्यूजिक कमाल है. हर सीक्वेन्स से जुड़ा गाना उसके साथ एकदम फिट बैठता है और आपके मूवी देखने के एक्सपीरिएंस को और बेहतर बनाता है.

'डेडपूल एंड वुल्वरीन', एक बढ़िया रोलरकोस्टर राइड जैसी है. ये हाई पॉइंट पर शुरू होती है, फिर कई मोड़ों से गुजरती है. इमोशन्स में डुबकी लगाती है. अलग-अलग किरदारों के साथ आपके उत्साह हो बढ़ाती है और फिर एक हाई पॉइंट पर लाकर आपको छोड़ती है. हर पिक्चर की तरफ इसमें भी कमियां हैं, लेकिन अगर आप उन्हें इग्नोर कर मोमेंट को एन्जॉय करेंगे या फिर आप कट्टर मार्वल या X-Men फैन हैं, तो आप इसे बहुत आराम से देख पाएंगे और ये आपको पसंद भी आएगी. अगर आपको फिल्मों में खून-खराबा देखने में तकलीफ होती है तो सोच-समझकर इसे देखने का प्लान बनाएं.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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